20/12/2025  :  17:51 HH:MM
प्रदूषण पर हिन्दी में निबंध
Total View  45
 
 


विज्ञान के इस आधुनिक युग में मानव ने जहाँ एक ओर अद्भुत प्रगति की है, वहीं दूसरी ओर उसने प्रकृति को गहरी चोट भी पहुँचाई है। विज्ञान ने मानव जीवन को अनेक सुविधाएँ प्रदान की हैं, परन्तु उसके दुरुपयोग ने जिन अभिशापों को जन्म दिया है, उनमें प्रदूषण सबसे भयावह है। यह ऐसा अभिशाप है, जो विज्ञान की कोख से जन्म लेकर आज सम्पूर्ण मानवता के स्वास्थ्य और अस्तित्व के लिए गंभीर संकट बन चुका है।

प्रदूषण का अर्थ

प्रदूषण का अर्थ हैप्राकृतिक संतुलन का बिगड़ जाना। जब मनुष्य को न शुद्ध वायु मिलती है, न स्वच्छ जल, न स्वास्थ्यप्रद भोजन और न ही शांत वातावरण, तब वह स्थिति प्रदूषण कहलाती है। प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार का होता हैवायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण आज महानगरों की सबसे बड़ी समस्या बन चुका है। कल-कारखानों से निकलता जहरीला धुआँ, मोटर-वाहनों से उठता काला धुआँ और निर्माण कार्यों की धूल वायु को विषैला बना रही है। दिल्ली इसका जीवंत उदाहरण है, जहाँ हर वर्ष सर्दियों में स्मॉग की मोटी परत छा जाती है। स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि लोगों को साँस लेने में कठिनाई होती है, स्कूल बंद करने पड़ते हैं और अस्पतालों में रोगियों की संख्या बढ़ जाती है।
मुंबई जैसे शहरों में छत पर सुखाए गए वस्त्रों पर काले कण जम जाना आम बात है। यही कण साँस के साथ फेफड़ों में पहुँचकर असाध्य रोगों को जन्म देते हैं। वायु प्रदूषण वहाँ अधिक फैलता है, जहाँ घनी आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता है और खुले स्थान कम होते हैं।

जल प्रदूषण

कल-कारखानों से निकलने वाला दूषित जल जब नदियों, नालों और तालाबों में मिल जाता है, तो भयंकर जल प्रदूषण उत्पन्न होता है। बाढ़ के समय यह समस्या और भी विकराल हो जाती है। दूषित जल के सेवन से हैजा, पेचिश, टाइफाइड जैसी अनेक बीमारियाँ फैलती हैं और यह जल जब फसलों में पहुँचता है, तो विषैले तत्व हमारे भोजन का हिस्सा बन जाते हैं।

ध्वनि प्रदूषण

मनुष्य के स्वस्थ जीवन के लिए शांत वातावरण अत्यंत आवश्यक है, परन्तु आज का जीवन निरंतर शोर से भरा हुआ है। कल-कारखानों का शोर, यातायात का कोलाहल, मोटर-गाड़ियों की चिल्ल-पों और लाउडस्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने मनुष्य को तनाव, अनिद्रा और बहरेपन की ओर धकेल दिया है।

प्रदूषण के दुष्परिणाम

प्रदूषण के कारण मानव का स्वस्थ जीवन संकट में पड़ गया है। आज मनुष्य खुली हवा में लंबी साँस लेने को तरस गया है। भोपाल गैस त्रासदी इसका भयावह उदाहरण है, जिसमें हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई और अनेक लोग आज भी उसका दंश झेल रहे हैं।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण ऋतु चक्र भी प्रभावित हुआ है। न समय पर वर्षा होती है, न सर्दी-गर्मी का संतुलन बना रहता है। सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि और अन्य प्राकृतिक आपदाएँ भी इसी असंतुलन का परिणाम हैं।

प्रदूषण के कारण

प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण हैंकल-कारखानों की वृद्धि, वैज्ञानिक साधनों का अत्यधिक उपयोग, वाहनों की संख्या में वृद्धि, ऊर्जा संयंत्र, फ्रिज, कूलर और वातानुकूलन यंत्रों का अंधाधुंध प्रयोग। इसके साथ-साथ वृक्षों की अंधाधुंध कटाई ने प्राकृतिक संतुलन को बुरी तरह बिगाड़ दिया है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली का अभाव भी प्रदूषण को बढ़ावा देता है।

सुधार के उपाय

प्रदूषण से मुक्ति पाने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाए, सड़कों के किनारे और आवासीय क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाई जाए। कल-कारखानों को आबादी से दूर स्थापित किया जाए और उनके अपशिष्ट को शुद्ध करने की उचित व्यवस्था की जाए। सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जाए और निजी वाहनों के प्रयोग को सीमित किया जाए। साथ ही, दिल्ली जैसे शहरों में विशेष निगरानी और सख्त नियमों की आवश्यकता है।

उपसंहार

अंततः यही कहा जा सकता है कि यदि समय रहते प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो मानव का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। स्वच्छ पर्यावरण ही स्वस्थ जीवन की आधारशिला है। इसलिए हमें आज ही संकल्प लेना होगाप्रकृति की रक्षा करेंगे, तभी अपना अस्तित्व बचा पाएँगे।






Enter the following fields. All fields are mandatory:-
Name :  
  
Email :  
  
Comments  
  
Security Key :  
   675536
 
     
Related Links :-
प्रदूषण पर हिन्दी में निबंध
यदि मैं प्रधानमंत्री होता Essay
डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम पर निबंध
चिड़िया का घोंसला
बिल्ली के गले में घंटी
मेट्रो रेल पर निबंध
लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल पर हिन्दी निबंध
महिला दिवस पर निबंध
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस पर हिन्दी में निबंध
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पर हिन्दी निबंध
 
CopyRight 2016 Rashtriyabalvikas.com